मैंने कल को देखा था कल
मैं भयभीत नहीं हूँ कल से
किंचित नहीं मुझे चिता है
कल के आने वाले पल से .
कल के पीछे भाग रहा जो
उसने अपना आज गंवाया
मृग मरीचिका की आशा में
दौड़ रहा पर पकड न पाया .
आँख खुली था आज सामने
कल न कभी आया, आएगा
आज निकल जायेगा कर से
हाथ मसल कर पछतायेगा .
आज हमारे हांथों में है
आओ इसको सुखद बनायें
खुशहाली लायें जीवन में
श्रम से, बल से और अकल से.
मैंने कल को देखा था कल
मैं भयभीत नहीं हूँ कल से
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