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Monday, June 20, 2011

(66) माँ जैसा और नहीं कोई


तेरी चिंता से ग्रस्त न जाने कितनी रात नहीं सोयी /
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई  /

नौ माह उदर  में रख पाला , पीड़ा में भी था अमित लाड़,
जन्मे तो कितने कष्ट दिए, बाहर आये माँ उदर फाड़  /
पर तेरी ममता में उसने , अपने सब कष्ट विसार दिए ,
फिर तेरे लालन-पालन में , खुद के सारे सुख वार दिए /
तेरे हँसने पर खिली और वह तेरे रोने पर रोई ,
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई  /

वह पौष - माघ की शीत लहर ,तेरा पल-पल, मल-मूत्र त्याग,
ठंडक से तुझे बचाने में , खुद रातें काटीं जाग -जाग /
तेरे हर संकट को हंसकर , बस खुद पर लेती आयी माँ ,
तेरे लालन-पालन में हर पल , बनी रही परछाई माँ /
तुझको आँचल में छुपा रखा, खुद गीले में लेटी-सोयी ,
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई  /

डगमग शैशव का सम्बल वह, बोलना सिखाने वाली माँ ,
बैयाँ-बैयाँ ,टयाँ -टयाँ , चलना सिखलाने वाली माँ /
निज स्तन पान करा तुझको , तुझमें जीवन संचार किया ,
अपना सब मधुमय अंतराल , तेरे पालन पर वार दिया /
तेरे समर्थ हो सकने तक , तुझमें ही सदा रही खोयी ,
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई  /

इस दुनिया में , इस पृथ्वी पर,माँ ही सबको लाने वाली ,
इस धरती पर सबसे पहले ,पहला पग रखवाने वाली /
खुद में ही फूला घूम रहा , भूला क्यों जिसकी गोद पला ,
जो माँ को भूल गया , उससे दुनिया में कौन कृतघ्न भला?
पत्नी, सुत, भ्रात सभी रिश्तों में , उनके अपने निजी स्वार्थ ,
निःस्वार्थ प्यार माँ का , उसकी ममता का मोल नहीं कोई /
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई  / 

2 comments:

Shalini kaushik said...

इस दुनिया में , इस पृथ्वी पर,माँ ही सबको लाने वाली ,
इस धरती पर सबसे पहले ,पहला पग रखवाने वाली /
खुद में ही फूला घूम रहा , भूला क्यों जिसकी गोद पला ,
जो माँ को भूल गया , उससे दुनिया में कौन कृतघ्न भला?
पत्नी, सुत, भ्रात सभी रिश्तों में , उनके अपने निजी स्वार्थ ,
निःस्वार्थ प्यार माँ का , उसकी ममता का मोल नहीं कोई /
धरती क्या तीनों लोकों में , माँ जैसा और नहीं कोई /
maa ki mahima ka aapne bahut sundar bakhan kiya hai.

S.N SHUKLA said...

Shalini ji aur Sangeeta ji,
rachana pasand aayee prashansa ke liye dhanyawad.