मैं स्रजन, मैं अगन , मैं धरा , मैं गगन,
मैं प्रकृति , मैं नियति, मैं ही सहकार हूँ /
मैं प्रभा, मैं किरन, मैं विरल, मैं सघन ,
सूर्य की रश्मियों का , मैं साकार हूँ /
मैं समय, मैं अवधि ,वारि मैं , मैं जलधि ,
मैं ही , नद - नद्य का लेता आकार हूँ /
क्रोध मैं , मैं विनय , घ्राण मैं, मैं ह्रदय ,
पञ्च भूतों में , मैं सृष्टि साकार हूँ /
मैं जगत , जीव , जड़ और चैतन्य में ,
ईर्ष्या - द्वेष मैं प्यार - मनुहार हूँ /
यज्ञ मैं , विज्ञ मैं , ज्ञान - विज्ञान मैं,
तत्त्व , दर्शन भी मैं , शब्द ओंकार हूँ /
सारे साधन मेरे , एक मैं साध्य हूँ ,
सृष्टि साकार में, मैं निराकार हूँ /
मेरा कुछ नाम दे, एक कर्ता हूँ मैं ,
मैं ही कर्तव्य हूँ , मैं ही अधिकार हूँ /
धर्म की आड़ ले , बाटते जो मुझे ,
वे गुनहगार हैं, धूर्त - मक्कार हैं/
मैं ही मंदिर हूँ, मस्जिद , शिवाला भी मैं ,
मैं गिरिजाघरों का भी आधार हूँ /