"झूठ बोलो"
सच ! सियासत क्या,अदालत में भी अब मजबूर है,
झूठ बोलो, झूठ की कीमत बहुत है आजकल।
जो शराफत ढो रहे हैं , हर तरह से तंग हैं ,
बदगुमानों की कदर, इज्जत बहुत है आजकल।
छोड़िये ईमानदारी , छोड़िये रहम-ओ-करम,
लूट कर भरते रहो घर, मुल्क में ये ही धरम ,
हर तरफ बदकार, दंगाई , फसादी, राहजन ,
इनपे ही सरकार की रहमत बहुत है आजकल।
जुल्म, बेकारी,गरीबी, मुफलिसी के देश में,
हैं लुटेरों की जमातें , साधुओं के वेश में ,
हर हुकूमत की बड़ी कुर्सी पे, एक मक्कार है,
सिर झुकाओ, इनकी ही कीमत बहुत है आजकल।
-एस .एन .शुक्ल